Search This Blog

Thursday, April 7, 2011

हैकिंग का होनहार उस्ताद

मध्यरात्रि का समय. आईआरसी चैनल नामक चैटसाइट पर पाकिस्तान के किसी शहर में स्थित एक कंप्यूटर से एक कूट संदेश प्रसारित हुआ.

उसी चैनल पर उस संदेश का इंतज़ार कर रहे थे कुछ और पाकिस्तानी हैकर और कुछ ही मिनटों में एक ख़तरनाक योजना जन्म ले चुकी थी.

भारत सो चुका था लेकिन दिल्ली के एंड्रूज़ गंज मुहल्ले में एक सोलह वर्षीय किशोर जगा हुआ था और बहुत ध्यान से अपने कंप्यूटर पर इन संदेशों के आदान-प्रदान को देख रहा था.
मैं अमरीका जाकर पढ़ाई करना चाहता हूँ और बिल गेट्स की ऊँचाइयाँ छूना चाहता हूँ< अंकित फ़ाडिया/blockquote>
संदेश था--'डीओएस अटैक'.

चैटसाइट पर मौजूद किसी साधारण व्यक्ति के लिए यह कूट संदेश अर्थहीन था.

लेकिन इस किशोर को चौकन्ना करने के लिए ये संदेश काफ़ी था.

यह कूट संदेश था किसी वेबसाइट में घुसकर उसे तबाह करने के संबंध में (जिसे कंप्यूटर की भाषा में हैकिंग कहते हैं) और हैकिंग का निशाना थी एक भारतीय वेबसाइट.

वेबसाइट को आगाह किया गया और वो भारी नुकसान से बच गई.

मामूली छात्र नहीं

मिलिए अंकित फ़ाडिया से. इतनी कम उम्र में हैकिंग की दुनिया में महारत हासिल करनेवाला यह किशोर बारहवीं कक्षा का छात्र है लेकिन हैकिंग रोकनेवाली एक अमरीकी गुप्तचर संस्था के लिए काम कर रहा है.

सवाल ये है कि अंकित को पता कैसे चला कि ये हैकर कहाँ से थे?

अंकित ने बताया, 'जब मैंने ये कोड संदेश देखा तो मैंने भी उनमें से एक बनकर बातचीत शुरू की और फिर कुछ ही देर में सारा कुछ सामने था.'

बड़े लक्ष्य

अंकित उस भारतीय वेबसाइट और अमरीकी गुप्तचर संस्था का नाम सुरक्षा कारणों से बताने से इंकार करता है.

13 वर्ष की उम्र में अंकित को उसके पिता ने उसका पहला कंप्यूटर ख़रीद कर दिया. और 14 वर्ष की उम्र में उसने एक भारतीय पत्रिका की वेबसाइट हैक कर दी और उसके संपादक को इंटरनेट सुरक्षा पर एक मेल लिख डाला.

और ठीक एक वर्ष के बाद उसने एक किताब लिखी 'ऐन ऑफिसियल गाईड टू हैकिंग' जिसकी भारत में 17,000 प्रतियाँ बिक चुकी हैं.

लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्डस के वर्ष 2002 के पाँच विशिष्ट भारतीयों में भी उसका नाम शामिल है.

दिल्ली पब्लिक स्कूल का यह छात्र आगे की पढ़ाई के लिए अमरीका जाना चाहता है और उसका सपना है बिल गेट्स की ऊँचाइयों तक पहुँचना. credit:bbc news

No comments:

Post a Comment