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Thursday, April 7, 2011

थोडी सी सावधानी रखे और हैकिंग से बचे

आज सुबह सुबह एक दोस्त का मेल आया कि उसका जीमेल अकाउंट किसी ने हैक कर लिया है और वह नही खुल रहा है। किसी तरह से उसका अकाउंट तो वापस सही कर दिया। तभी लगा कि इन्टरनेट का उपयोग करते समय ईमेल अकाउंट की सुरक्षा से सम्बंधित कुछ मूलभूत बातों की जानकारी होनी चाहिए।

सबसे पहले बात करते है हैकिंग के तरीकों पर:
आम तौर से अकाउंट हैक होने का सबसे प्रमुख कारण साइबर कैफे मे ईमेल अकाउंट मे लोग इन करते समय Remember Me (मुझे याद रखे) पर चेक कर देना। इससे दूसरा कोई उपभोक्ता भी उस कंप्यूटर पर आपके अकाउंट को खोलसकता है। इसलिए कभी भी इस विकल्प को चेक न करे।
कई बार key logger सॉफ्टवेर का प्रयोग कर कंप्यूटर पर सभी दबाये जाने वाले कुंजी को रिकॉर्ड कर लिया जाताहै। इससे बचने के लिए आम तौर पर आप कुछ नही कर सकते। इसलिए अगर कभी लगता है कि किसी विशेषव्यक्ति के कंप्यूटर पर कम करने से आपके अकाउंट की सुरक्षा को खतरा हो तो कभी भी उस कंप्यूटर पर काम नहीकरे।
तीसरा कारण होता हो किसी बहुत आसन से शब्द को अपना पासवर्ड बना लेना। आज कई सॉफ्टवेर उपलब्ध होजो पासवर्ड क्रेक्किंग के लिए प्रयोग मे लाये जाते हो। अत अपना पासवर्ड लंबा ऐसा रखे कि आसानी से कोईउसका अनुमान नही लगा सके।
ईमेल अकाउंट बनते समय एक सुरक्षा प्रश्न पूछा जाता हो। पासवर्ड भूल जाने पर इस प्रश्न का सही उतर देकर फिरसे पासवर्ड सेट किया जा सकता हो। आमतौर पर ईमेल अकाउंट बनते समय इस प्रश्न का कोई आम-सा उतर देदिया जाता हो। हैकर्स इसके द्वारा भी मेल अकाउंट हैक कर सकते हो।
इसके अलावा ईमेल अकाउंट का पासवर्ड पता करने के लिए फिशिंग का भी प्रयोग भी किया जाता हो। इसमे यूजरको एक मेल भेजा जाता हो जिसमे दिए गए लिंक पर क्लिक करने पर एक दूसरा वेब ब्राउजर खुल जाता हो। इसमेआपको अपना पासवर्ड डालने के लिए कहा जाता हो। युजेर अक्सर मूल वेबसाइट के धोखे मे पासवर्ड डाल देते है। जबकि वह साईट फिशिंग साईट होता है और आपका पासवर्ड हैकर के पास पहुच जाता है। अत कभी भी अपने मेलमे आए किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक नही करे।
और सबसे महत्वपूर्ण बात आप अपने अकाउंट का पासवर्ड एक निश्चित अंतराल पर बदलते रहे।
हैकिंग और फिशिंग के बहुत सारे तरीके है और उन सबका विस्तृत विवरण देना यहाँ सम्भव नही है। पर थोडी सी सावधानी रख कर हैकिंग से बचा जा सकता है।
Credit :computerprb

जानें गूगल सर्च में आपका ब्लॉग सबसे ऊपर कैसे आये

अपनी ग़लतियों से सीखें आपमें से बहुत से लोग लेबल या टैग का ग़लत इस्तेमाल करते हैं। जैसे आप में से बहुत लोगों का लेबल आपका नाम या सर्वाधिकार सुरक्षित ऐसा कुछ होता है। प्रश्न यह है कि आख़िर लेबल है क्या बला? लेबल को आप संदर्भ शब्द से सम्बंधित कर सकते हैं। ऐसे शब्द जो आपकी पोस्ट में बहुत महत्वपूर्ण हैं और आप जिन शब्दों को लेकर गूगल सर्च में अपने ब्लॉग को गूगल सर्च में नामांकित कराना चाहते हैं। आप इससे विस्तृत ढंग से मेरे इस अन्य किसी ब्लॉग पर लगे लेबल या मूल से समझ सकते हैं। एक यही तरीक़ा नहीं है जिससे अपनाकर आप गूगल खोज में सबसे ऊपर आ सकते हैं। और बातें है जिनका ध्यान रखना होता है। जिनमें से एक बात को आपको अवश्य माननी चाहिए वह है कि आप अपने ब्लॉग के हर पृष्ठ को गूगल के लिए अलग कर दें यानी हर पेज अपनी यूनिक आई डी रखे। इसको इस तरह से आसानी से समझ सकते हैं कि जब आप अपने ब्लॉग को ब्राउज़र में खोलते हैं तो ब्राउज़र में ऊपर पहले आपके ब्लॉग का नाम आता है फिर आपकी पोस्ट का नाम आता है फिर कुछ और जैसे इंटरनेट एक्स्प्लोरर या मोज़िला फ़ायर फ़ॉक्स या अन्य कुछ। लेकिन जब आप अपने ब्लॉग के हर पन्ने के लिए यूनीक आई डी सेट कर देते हैं तो सिर्फ़ आपकी पोस्ट का शीर्षक और ब्राउज़र का नाम आता है। ऐसा उत्कृष्ट तरीक़ा आजकल वर्डप्रेस में इस्तेमाल होता हैं। ब्लॉगर ने इसे अभी नहीं अपनाया है लेकिन इसे आगे अपनाया जाना निश्चित है। लेकिन इस बेहतरीन सुविधा से आप आज ही से लाभांवित हो सकते हैं आइए इसे कैसे किया जाये इसे समझें:


प्रक्रिया/अपनाये जाने वाले चरण:

आप डैशबोर्ड पर जायें > फिर लेआउट पर जायें > फिर Edit HTML का विकल्प चुनें

तत्पश्चात इस कोड की सर्च करें:


और इस पूरे कोड को इस कोड से बदल दें:
<data:blog.pageName/> | <data:blog.title/> <data:blog.pageTitle/>

और इस तरह सारा काम ख़तम हो गया।

कितना सुरक्षित है आपका नेट बैंकिंग

अगर आप अपने बैंक से संबंधित सारा काम इंटरनेट के माध्यम से करते हैं, तो यह जानना आपके लिए जरूरी है कि कहीं अनजाने में आप अपने अकाउंट से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी गलत लोगों तक तो नहीं पहुँचा रहे हैं? अगर आप अपने बैंक की वेबसाइट पर अपने अकाउंट के बारे में कोई भी जानकारी बिना सोचे-समझे दे देते हैं तो सावधान हो जाइए।
क्या है खतरा -ट्रॉजनहोर्स नामक प्रोग्राम अब बहुत से हैकर्स के पास मौजूद है, जिसकी मदद से ये लोग आसानी से अकाउंट की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जब आप बैंक की वेबसाइट पर अपने अकाउंट के माध्यम से कुछ कार्य करते हैं, तो उस वेबसाइट पर आपको अपने अकाउंट के बारे में कुछ जानकारियाँ देनी पड़ती हैं। यह जानकारी आपसे कुछ फील्ड्स (सूचना क्षेत्रों) द्वारा ली जाती है। ट्रॉजनहोर्स प्रोग्राम की से इन फील्ड्स के साथ हैकर्स कुछ ऐसे फील्ड्स जोड देते हैं, जिनसे वे आपके अकाउंट की गुप्त जानकारी प्राप्त कर लेते हैं, जैसे आपके कार्ड का पिन नंबर।
कैसे किया जाता है -इसके लिए मालवेयर सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है, जो वेब ब्राउजर के साथ आसानी से जोड़ा जा सकता है। इस मालवेयर को एचटीएमएल इंजेक्शन के माध्यम से ब्राउजर से जोड़ा जाता है। यह मालवेयर ब्राउजर के साथ इतनी सक्षमता से जुड़ा रहता है कि यह किसी भी बैंक की वेबसाइट पर भी आसानी से कार्य कर सकता है। यहाँ तक कि उस वेबसाइट का लेआउट भी बदल सकता है।इसके, आपके ब्राउजर के साथ जुड़े होने का आपको एहसास भी नहीं होता है और यह अपना कार्य आसानी से करता रहता है। लेकिन अगर आप से कुछ ऐसी जानकारी बैंक की वेबसाइट पर माँगी जा रही है जो पहले कभी नहीं माँगी गई तो आपके ब्राउजर के साथ इस मालवेयर के होने की संभावना हो सकती है।यह लिम्बो नामक मालवेयर आपके कम्प्यूटर पर ज्यादातर दो तरीकों से स्टोर किया जाता है। पहला तो वह पॉप अप मैसेज जो आपको कुछ अतिरिक्त सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने को कहे और दूसरे कुछ ऐसे तरीके जो उपयोगकर्ताओं को पता न चलें। यह मालवेयर सॉफ्टवेयर अब बड़ी मात्रा में उन लोगों के पास उपलब्ध हैं जो इंटरनेट का दुरुपयोग करने में माहिर हैं। इनकी उपलब्धता का एक कारण है इन मालवेयर सॉफ्टवेयर की कम कीमत। जो जानकारी ये हैकर्स लोगों द्वारा एकत्र करते हैं उसे ‘हार्वेस्ट’ कहा जाता है, यानी कि जानकारी जुटाना। इस जानकारी को जब धन पाने के लिए उपयोग किया जाता है तो इस प्रणाली को ‘कैशआउट’ कहा जाता है। इस तरह के धोखेबाजी के कारोबार में लिप्त लोग इन दोनों प्रणालियों में ही माहिर होते हैं। इन दोनों प्रणालियों का प्रयोग ज्यादातर दो तरह के हैकर्स करते हैं पहले वे जो हार्वेस्ट में निपुण होते हैं और दूसरे वे जिनका काम कैशआउट का होता है। दोनों क्षेत्रों में निपुण हैकर्स साथ मिलकर यह कार्य करते हैं।
सुरक्षा -इस तरह की परेशानियों से निपटने के लिए बहुत से बैंक अपने ग्राहकों के लेन-देन संबंधी व्यवहार पर नजर रखते हैं। यह काम ग्राहक के चलते आ रहे लेन-देन व्यवहार को ध्यान में रखकर किया जाता है। इसके लिए बैंक खास तैयार किए गए सॉफ्टवेयर की मदद भी ले रहे हैं। इन सॉफ्टवेयरों की मदद से इस तरह के हैकर्स को ग्राहकों को नुकसान पहुँचाने से रोका जा सकेगा। बैंकों द्वारा बढ़ाई गई सुरक्षा के साथ ही नेट बैंकिंग करने वाले लोगों को भी थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है। बैंक अकाउंट के बारे में कोई भी गुप्त जानकारी गलत हाथों में न पहुँचे, इसका ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है।

Credit:http://rradhikari.blogspot.com

अपराध का नया रूप:मोबाइल हैकिंग

आप ई-मेल हैकिंग और कम्प्यूटर हैकिंग से तो वाकिफ होंगे ही। आजकल हैकिंग और हैकर्स अपने अपराधों की वजह से लगातार चर्चा में बने हुए हैं। इनके बारे में अमूमन ही नए-नए समाचार हमें प्राप्त होते हैं। इन बातों से यह अंदाज़ा लगाया ही जा सकता है कि हैकिंग कितनी आसानी से हमारे बीच अपनी जगह बनाती जा रही है।इसी विकास का नतीजा है कि हैकिंग की यह तकनीक अब हमारे मोबाइल तक भी पहुँच गई है। अब हमारा सबसे विश्वसनीय साथी, हमारा मोबाइल भी इससे अछूता नहीं है।इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सेलफोन में लगने वाली चिप किस तरह से बनाई जाती है, इसका पता ये हैकर्स आसानी से लगा लेते हैं, इसलिए उसे आसानी से हैक कर लेते हैं।हैक होने वाले मोबाइल ज़्यादातर जीएसएम तकनीक पर काम करने वाले मोबाइल होते हैं। इन्हें हैक करने के लिए सिर्फ कुछ हार्डवेयर चाहिए जो आसानी से फोन से जुड़ जाता है। बस थोड़ी सी इलेक्ट्रॉनिक्स कि जानकारी होने पर हैकर आपके फोन को हैक करके आपके फोन मेमोरी की सारी जानकारी ले सकता है, कई बार तो आपके फोन में स्टोर की हुई जानकारी बदली भी जा सकती है।इस तरह की हैकिंग के लिए यह ज़रूरी होता है कि हैकर आपके फोन को 3 से 4 मिनट के लिए उपयोग करे, बिना आपके फोन की ज़रूरी जानकारी के यह हैकिंग संभव नहीं। इसलिए अब अपना फोन किसी अजनबी को देने से पहले इस बारे में विचार ज़रूर कर लें।बढ़ते तकनीकी विकास की वजह से हैकर्स ने मोबाइल हैकिंग का एक तरीका और निकाल रखा है। इसके लिए वे उस फोन की तलाश में रहते हैं जिसमें ब्लूटूथ का उपयोग हो रहा हो। इसके लिए हैकर किसी भीड़ वाली जगह में अपने लैपटॉप पर हैकिंग सॉफ्टवेयर को एक्टिवेट करता है। यह सॉफ्टवेयर एक एंटीने के ज़रिए उपयोग में आ रहे नज़दीकी ब्लूटूथ के सिग्नल को पकड़ लेता है। फिर अपने लैपटॉप के ज़रिए वह आपके मोबाइल पर उपलब्ध सारी जानकारी हासिल कर उसका उपयोग कर सकता है। इससे बचने का सबसे अच्छा उपाय यह है कि अगर आप ब्लूटूथ का उपयोग कर रहे हैं तो थोड़ा संभल जाएँ। अपने ब्लूटूथ को या तो इन्विज़िबल मोड पर रखें या फिर बंद रखें तो बहुत ही अच्‍छा है।दूसरा तरीका यह है कि अपने फोन पर पासवर्ड का प्रयोग करें ताकि आपके फोन का उपयोग आप के अलावा कोई न कर पाए। इसके साथ ही आप अपने फोन को समय-समय पर अपडेट करते रहें तो यह फायदेमंद होगा।

Credit:http://rradhikari.blogspot.com

पासवर्ड कैसे हैक करे ?

अगर आप किसी पब्लिक कंप्यूटर का उपयोग करते है तो आपने कई बार देखा होगा की कुछ लोग अपना पासवर्ड कंप्यूटर में सुरक्षित (Save) कर देते है | जिससे आप उसके मेल तो देख सकते है लेकिन पासवर्ड पता नही कर सकते है | क्योकि सभी ईमेल प्रोवाईडर कंपनिया पासवर्ड को ****** या बड़े काले बिन्दुओ द्वारा प्रदर्शित करती है जिनकी कॉपी नही की जा सकती है |
लेकिन इन पासवर्ड को एक कोड के द्वारा आसानी से देख सकते है | जिसे आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते है |

उदहारण के लिए हम Gmail की साईट ले रहे है |

इस कोड को उपयोग करने की विधि :-
१. सर्वप्रथम जीमेल की साईट खोले |
२. अब उस ID को चुने जिसका पासवर्ड कंप्यूटर में सेव है | अब आपको ******* के रूप में पासवर्ड दिख रहा होगा |
३. अब आप डाउनलोड किए गए कोड को "Address Bar" में पेस्ट करके enter दबाये | आपके सामने पासवर्ड प्रदर्शित हो जायेगा |

Credit:http://rimzimcomputer.blogspot.com

आपका पासवर्ड हैक हो सकता है!

आपका पासवर्ड हैक हो सकता है यदि आप सरल और शब्दकोश में पाये जाने वाले शब्दों को अपना पासवर्ड बनायेंगे। आपका पासवर्ड इतना कठिन और स्पेश्ल शब्दों का समूह होना चाहिए कि हिट और ट्रायल(अदांज़ी-गद्दा मारने) से अचूक हो जाये। माइक्रोसाफ़्ट ने आपके पासवर्ड की कठिनाई(स्ट्रेन्थ) को नापने के लिए सुविधा शुरु की है। आप आज ही अपने पासवर्ड की स्ट्रेन्थ को नापकर उसे बदल दें।

पासवर्ड कठिन बनाने का सरल उपाय है किसी सरल शब्दकोश शब्द का चुनाव और उसमें फेर बदल ताकि पासवर्ड याद भी रहे क्योंकि पासवर्ड याद रखना हममें से कुछ लोगों के लिए मुश्किल होता है और ज़्यादा दिन प्रयोग न करने पर वह भूल जाते हैं।

उदाहरण:
एक सरल शब्द butterfly चुनिए। अब समझिए कि यह एक कठिन पासवर्ड कैसे हो सकता है।

एक अन्य शब्द hotdog चुनिए। अब सोचिए कि इसे किस तरह कठिन बनाया जा सकता है।

अपने पासवर्ड की Strength मापने के लिए इस पृष्ठ पर जायें >> Password Strength Check
Credit :http://techprevue.blogspot.com

ब्लॉगजगत का तहलका :मोबाईल हैक , कीजिये किसी के नंबर से किसी के नंबर पर कॉल

इंतजार ख़त्म हुआ ! आपके सामने है वह तकनीक जिससे आप भी इस्तेमाल कर किसी के नंबर से किसी के नंबर पर कॉल कर सकते हैं . माना कि आपके पास ” अरुण सिंह ” नाम के किसी व्यक्ति का नंबर है. इस तकनीक के माध्यम से आप अरुण सिंह के नंबर से अरुण सिंह तो क्या किसी के नंबर पर भी कॉल कर सकते हैं . अरुण सिंह को यह बात पता भी नहीं चलेगी और आप उसके नंबर का इस्तेमाल भी करते रहेंगे. यह इतनी खतरनाक बात है ,कि आपकी निजता आपसे छीन ली जा चुकी है. अब अगर मुझे अरुण सिंह से कोई रंजिश है तो मैं उसके नंबर से मोहल्ले के कोई भाई को फ़ोन कर , चार गलियां बक दूँ . उसे नंबर दिखेगा अरुण सिंह का और वह उसकी तुड़ाई कर देगा .

ऐसी तकनीक को वी. ओ .आई . पी. के माध्यम से अंजाम दिया जाता है .( “वोयईस ओवर इन्टरनेट प्रोटोकॉल “) हालाँकि ऐसे किसी भी कार्य को अंजाम देने के लिए आपके पास अन्य विकसित तकनीकी संसाधन कि आवश्यकता होती है परन्तु इस तकनीक में आप सिर्फ एक ई मेल आई डी के जरिये यह बात कर पाएंगे . इसमें कोई खर्च नहीं . हाँ आपको केवल कुछ कॉल हीं मुफ्त में दी जाएँगी, उसके बाद कॉल करने के लिए आपको कुछ राशी देनी होगी जो सामान्य फ़ोन रेट जैसा हीं है .

मेरे यह पोस्ट लिखने का मकसद इतना हीं है कि यह बात तमाम तरह से मीडिया में आये और इसपर जितना जल्द हो रोक लगे . मैंने अपने स्तर से मीडिया में बात उठा कर कोशिश कर ली . अब आपकी बारी है. आप किसी भी अख़बार या टी वी चैनल तक पहुँच रखते हैं तो यह बात सबको बताएं . बात जब उठेगी , तब जाकर सरकार इस विषय पर गंभीर होते हुए कोई कदम उठायेगी और ऐसी तकनीक को बैन किया जा सकेगा . कुछ दिनों पहले टी वी पर हुए खुलासे के बाद भी भी , इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया . हम वस्तुतः ऐसे हीं लोग है . जब तक बात सर के ऊपर नहीं निकल जाये , कोई सुनता हीं नहीं . अब ऐसे में यह जरूरत है कि तकनीक को इतना सामान्य कर दो , कि हर रोज शिकायत पैदा हो . तब जाकर सरकारी तंत्र इसे रोकने की सोचेगा .

इन पांच स्टेप्स का पालन कीजिये और महज़ पांच मिनट में आप इस तकनीक का इस्तेमाल कर पाएंगे .

परन्तु आगे कि पोस्ट पढने के लिए आपको रजिस्टर करना पड़ेगा . पोस्ट वही पढ़ सकता है जो विचारमीमांसा का सदस्य है .

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१. आपके पास एक ई-मेल आई डी का होना आवश्यक है . इस इमेल आई डी से आप इस साईट पर रजिस्टर करें .

२ फ़ोन नंबर कि जगह उस नंबर को डालें जिसका इस्तेमाल आपको करना है .( आप कोई भी नंबर डाल सकते है . यहाँ से कोई भी मैसेज उस नंबर पर नहीं जाता है , इसलिए उस व्यक्ति को पता भी नहीं चलेगा कि आपने उसके नंबर को कहीं जोड़ा है . और यहीँ इस तकनिक को खतरनाक बनाता है.

३. इस साईट पर जायें http://www.mobivox.com/

४ रजिस्टर करें

५ लोग -इन करें

६ लोग इन करने के बाद ” डैरेक्ट वेब कॉल ” वाले तब पर क्लिक करें

७ उस नंबर को डालें , जिसपर कॉल करना है .

८ उस नंबर पर कॉल चली जाएगी

९ अब अब अपने प्रोफाइल में जाकर अपना नंबर बदल कर , दूसरा नंबर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

अगर यह बात बताकर मुझसे कोइ गलती हो गयी हो तो माफी चाहुँगा. इस पोस्ट का मकसद मात्र सरकारी तंत्र का ध्यान खिंचना है . इसे अन्यथा न लिया जाये.



आपसे अनुरोध है कि इस जानकारी का दुरुपयोग ना करेँ. ऐसा करना कानूनन जुर्म है.
Credit:vicharmimansa .com